April 18, 2022
भारतीय संविधान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि



संविधान


देश का संविधान उस देश की राजनीतिक व्यवस्था, न्याय व्यवस्था तथा नागरिकों के हितों की रक्षा करने का एक मूल माध्यम होता है।


संविधान शब्द सम और विधान दो शब्दों से मिलकर बना है सम का अर्थ बराबर और विधान का अर्थ नियम और कानून होता है, अर्थात वह नियम जो सभी नागरिकों पर एक सामान लागू होता है, संविधान कहलाता है।


भारतीय संविधान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि


ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1600 ई. में अंग्रेजों के द्वारा हुई थी।


कंपनी के कार्यों को नियंत्रित करने के लिए कुछ अधिनियम ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाये गये जो निम्न प्रकार से है। और इसी अधिनियम से भारत में संविधान का नींव पड़ी।


नोट:- भारतीय संविधान का विकास इन अधिनियमों द्वारा हुआ।


रेगुलेटिंग एक्ट 1773


ईस्ट इंडिया कंपनी के कार्यों को नियंत्रित व नियमित करने का ब्रिटिश संसद द्वारा उठाया गया पहला कदम था।


बंगाल के गर्वनर को बंगाल का गर्वनर जनरल बनाया गया।


लॉर्ड "वारेन हेस्टिंग" बंगाल के प्रथम गवर्नर जनरल बने।


गवर्नर जनरल के लिये एक कार्यकारी परिषद की स्थापना की गई जिसमें चार सदस्य नियुक्ति किये गये इसमें कोई अलग से विधान परिषद नहीं थी।


बंबई व मद्रास के गर्वनरों को बंगाल के गर्वनर जनरल के अधीन कर दिया गया।


फोर्ट विलियम (कलकत्ता) में 1774 ई. में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना अफेक्स न्यायालय के रूप में की गयी।


नोट:- एलिजा ऐम्पे देश के प्रथम मुख्य न्यायाधीश थे।


यहां तीन अन्य न्यायाधीश भी थे - 


1. लॉर्ड टाइड 

2. लॉर्ड चैम्बुस 

3. लॉर्ड लैम्सटर


कंपनी के नौकरशाह को निजी व्यापार करने तथा मूल निवासियों से रिश्वत लेने पर रोक लगा दी।


राजस्व कार्यों के लिए कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स की स्थापना की गई। कोर्ट ऑफ डायरेक्टर की सदस्य संख्या - 24


 ईस्ट इंण्डिया कंपनी के 20 वर्षों के लिए व्यापारिक अधिकार दिये गये। पिट्स इंडिया एक्ट 1784


कंपनी के वाणिज्य व राजनीतिक कार्यों को अलग अलग कर दिया गया।


वाणिज्य कार्यों के लिए कोर्ट ऑफ डायरेक्टर तथा राजनीतिक कार्यों के लिए बोर्ड ऑफ कन्ट्रोल की स्थापना की गई।


सदस्यीय परिषद गवर्नर जनरल की शक्तियां कम कर दी गयी ।


भारतीय विषयों को प्रत्यक्ष रूप से ब्रिटिश सरकार के सामने रखा गया।


भारत में कंपनी के क्षेत्रों को ब्रिटिश आधिपत्य कहा गया । 


मद्रास और बॉम्बे में गवनर्र परिषदों की स्थापना की गई।


चार्टर एक्ट 1793


ईस्ट इंण्डिया कंपनी के व्यापारिक अधिकार 20 वर्षों के लिए बढ़ा दिये गये।


इण्डियन सिविल सर्विस (ICS) 21 अप्रैल 1793 को पहली बार आयोजित हुई। 


सिविल सर्विस डे 21 अप्रैल


1793 में राजस्व बोर्ड व राजस्व पुलिस की स्थापना हुई।


चार्टर अधिनियम 1813


केवल 2 व्यापारिक अधिकारों को छोड़कर ईस्ट इण्डिया कंपनी के सारे व्यापारिक अधिकार खत्म कर दिये गये।


चाय का व्यापार


चीन के साथ व्यापार


भारत में कंपनी के व्यापारिक एकाधिकार को समाप्त किया गया तथा सम्पूर्ण ब्रिटिश के लिए खोल दिये गये।


चार्टर अधिनियम 1833


बंगाल के गवर्नर को भारत का गवर्नर जनरल बना दिया।


भारत के प्रथम गर्वनर जनरल "लॉर्ड विलियम बेटिंग" थे।


यह केन्द्रीयकरण की दिशा में प्रथम कदम था


अधिनियम के तहत ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापारिक अधिकार को समाप्त कर दिया गया अब यह केवल प्रशासनिक संस्था के रूप में कार्य कर रही थी ।



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चार्टर अधिनियम 1853


ईस्ट इण्डिया कम्पनी केवल प्रशासनिक वजूद ही रह गया था इसलिए बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के 6 सदस्य हटा दिये गये।


1853 में पहली बार आई. सी. एस. के लिए लिखित परीक्षा आयोजित की गई । गवर्नर जनरल परिषद के विधायी व कार्यपालिका कार्यों को अलग-अलग कर दिया।


केन्द्र विधान परिषद में 6 सदस्य कर दिये गये इन 6 सदस्यों में से 4 को बंबई, मद्रास, बंगाल व आगरा की प्रान्तीय सरकारों को नियुक्ति के लिए दिया गया। 


सिविल सेवकों की भर्ती के लिये प्रतियोगिता प्रणाली से परिचित करवाया गया।


ताज का शासन 1858 से 1947


भारत के लिए यह अधिनियम ब्रिटिश ताज के द्वारा अच्छे शासन के लिए भेजा गया जो 1857 की क्रान्ति के विद्रोह को ध्यान में रखते। हुए था जिसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम व सिपाही विद्रोह कहा गया। अधिनियमित किया गया


भारत शासन अधिनियम 1858


भारतीय परिषद में एक सदस्य भारत सचिव की नियुक्ति की गई जो ब्रिटिश कैबिनेट का सदस्य होता था।


गवर्नर जनरल को वायसराय बना दिया गया।


लॉई केनिंग प्रथम वायसराय व अन्तिम गवर्नर जनरल थे।


बोर्ड ऑफ कन्ट्रोल व बोर्ड ऑफ डायरेक्टर को समाप्त कर दिया।


भारत परिषद अधिनियम 1861


1860 पहली बार जेम्स विलसन के द्वारा भारतीय बजट प्रस्तुत किया गया


इनकम टैक्स की शुरूआत की गयी


इनकम टैक्स के जनक- लॉर्ड कैनिंग थे


प्रथम बार भारतीयों को प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया व गवर्नर जनरल की कार्यकारी व विधान परिषद जैसी संस्थाओं में भारतीयों की नियुक्ति की गई 3 भारतीयों को विधान परिषद में नियुक्ति किया गया।


केन्द्र व प्रान्तों में विधान परिषद की स्थापना की गई।


बंबई व मद्रास प्रांतों को शक्तियां देकर विकेन्द्रीकरण की प्रक्रिया शुरू की।


भारत परिषद अधिनियम 1892


प्रथम बार अप्रत्यक्ष चुनावों से परिचय करवाया गया।


विधान परिषद का आकार बढ़ा दिया गया


विधान परिषद के कार्यों में वृद्धि की गई व बजट पर चर्चा करने व कार्यपालिका से प्रश्न करने का अधिकार दिया गया।


भारत परिषद अधिनियम 1909


इस अधिनियम को मारले मिन्टो सुधार अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है।


लॉर्ड मारले भारत का सचिव तथा लॉर्ड मिन्टो तत्कालीन वायसराय थे ।


विधान परिषद के लिये प्रत्यक्ष चुनाव करवाये गये तथा प्रथम बार प्रतिनिधिक लोकतंत्र से परिचित करवाया गया।


केन्द्रीय विधान परिषद में सदस्य संख्या 16 से बढ़ाकर 60 कर दी गई।


सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व प्रणाली की शुरूआत की गई तथा मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन की व्यवस्था की गई।


प्रथम बार वायसराय की परिषद में भारतीयों की नियुक्ति की गई (सत्येन्द्र प्रसाद सिन्हा को कानून सदस्य नियुक्त किया गया) ।


भारत सरकार अधिनियम 1919


इस अधिनियम को मोटेंग्यू- चेम्सफोर्ड सुधार अधिनियम के रूप में जाना गया (मोटेंग्यू राज्य सचिव थे और चेम्सफोर्ड भारत के वायसराय थे)


केन्द्रीय विषयों का सीमांकन किया गया व उन्हें प्रांतीय विषयों से अलग किया गया । • दोहरी शासन योजना के तहत प्रान्तों में वैधशासन की शुरूआत की गई


द्वैधशासन प्रणाली के तहत प्रान्तीय विषयों को दो भागों में बाटा गया


1. हस्तांतरित 

2. आरक्षित


आरक्षित विषयों के तहत राज्यपाल विधानपरिषद के प्रति उत्तरदायी नहीं था।


प्रथम बार केन्द्र में द्विसदनीय व्यवस्था को अपनाया गया।


राज्य परिषद में 60 सदस्य तथा विधानपरिषद में 140 सदस्य कर दिये गये।


प्रत्यक्ष निर्वाचन व्यवस्था की शुरूआत की गई।


केन्द्रीय लोक सेवा आयोग की स्थापना के लिए प्रावधान किया गया


भारत अधिनियम 1919 के तहत बनाए गए नियम को हस्तान्तरित नियम के रूप में जाना जाता था।


1928 में साइमन कमीशन भारत आया। यह वैधानिक आयोग के रूप में भी जाना जाता था।


भारत सरकार अधिनियम 1935


संघात्मक सरकार की स्थापना की गई। प्रान्तों और रियासतों को इकाई के रूप में शामिल करते हुए अखिल भारतीय महासंघ की स्थापना का प्रावधान किया गया था। 


अधिनियम द्वारा केन्द्र व उसकी इकाइयों के मध्य शक्तियों को तीन सूचियों में बांटा गया।


1. संघ सूची ( 59 विषय) 

2. प्रांतीय सूची (54 विषय) 

3. सीमावर्ती सूची (36 विषय) 


प्रान्तों में द्धैध शासन समाप्त कर दिया व प्रान्तीय स्वायत्तता प्रदान की गई । 


इस समय छः प्रान्त थे- असम, बंगाल, बॉम्बे, बिहार, मद्रास व संयुक्त प्रान्त । 


संघीय न्यायालय की स्थापना का प्रावधान किया गया।


भारतीय परिषद को समाप्त कर दिया गया।


केंद्र में 'द्वैध शासन की शुरुआत की गई ।


अवशिष्ट शक्तियां गर्वनर जनरल को दी गयी।


भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947


इसके द्वारा भारत को स्वतंत्र और संप्रभु राज्य घोषित किया गया।


केंद्र व राज्यों में उत्तरदायी सरकार का गठन किया गया।


वायसराय के पद को समाप्त करके गवर्नर जनरल बना दिया गया।


संविधान सभा को दोहरे कार्य सौंपे गये (संविधान और विधायी) विधायिका को एक संप्रभु निकाय के रूप में घोषित किया।


महत्वपूर्ण तथ्य


चार्टर अधिनियम 1833 से पहले के अधिनियमों को रेगुलेटिंग अधिनियम व बाद के अधिनियमों को अधिनियम कहा गया।


लॉर्ड वॉरेन हेस्टिग्स ने 1772 में जिला कलेक्टर का पद बनाया


लेकिन न्यायिक शक्तियाँ जिला कलेक्टर को बाद में कार्नवालिस द्वारा प्रदान की गई। 


लॉर्ड मेयो के वित्तीय विकेन्द्रीकरण के संकल्प ने भारत में स्थानीय स्वशासन का विकास किया (1870) |


1892 में लॉर्ड रिपन का संकल्प के स्थानीय स्वशासन के "मैग्ना कार्टा" के रूप में प्रतिष्ठित हुआ तथा भारत में स्थानीय स्वशासन के रूप में स्थापित हुआ।


चार्टर अधिनियम 1833 अधिनियम 1909 से पहले महत्वपूर्ण अधिनियम था।


अधिनियम 1919 द्वारा प्रदान की गई कार्यकारी परिषद 1947 तक वायसराय को सलाह देती थी।


मौजूदा कार्यकारी परिषद ( मंत्रिपरिषद) उसी कार्यकारी परिषद का प्रतिरूप है।


विधान परिषद व विधानसभा आजादी के बाद राज्यसभा व लोकसभा के रूप में विकसित हुई।


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