April 23, 2022
सौरमंडल (Solar System)


सौरमंडल (Solar System)


सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले विभिन्न ग्रहों, धूमकेतुओं, उल्काओं और अन्य आकाशीय पिंडों के समूह को सौरमंडल कहते हैं। सौरमंडल के पूरे ऊर्जा का स्रोत सूर्य है।


सौर प्रणाली की खोज कोपरनिकस ने की और ग्रहों की गति का नियम केप्लर ने दिया।


सौरमंडल के सरे पिंड गुरुत्वाकर्षण के कारण आपस में बँधे हुए सूर्य है।


सूर्य एक तारा है तथा सौरमंडल का मुखिया हैं।


सूर्य में ऊष्मा एवं ऊर्जा का स्त्रोत नाभकीय संलयन की क्रिया हैं।


सूर्य का वह भाग जो हमे दिखाई देता हैं, फोटोस्पियर (प्रकाश मंडल ) कहलाता है।


फोटोस्पियर से जगह-जगह विधुत चुम्बकीय विकिरण निकलते हैं या सूर्य से निकलने वाले लपटे या ज्वालायें कभी कभी इतनी शक्तिशाली होती हैं कि सूर्य के गुरुत्वाकर्षण शक्ति को पार करके अंतरिक्ष में प्रवेश कर जाती हैं ऐसी ज्वालाओं तथा परमाणु आँधियों को सौर ज्वाला कहते हैं।


सौर ज्वाला एक बहुत ही प्रभावशाली विधुत चुम्बकीय विकिरण होता हैं, जो सूर्य के बाहरी सतह अर्थात फोटोस्पियर से निकलता है।


कभी कभी यह सौर ज्वाला पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर जाता हैं और पृथ्वी के ध्रुवो के पास जा पहुंचता हैं क्योंकि पृथ्वी के ध्रुवो की गुरुत्वाकर्षण शक्ति अधिक होती हैं। तथा परिणामस्वरूप ध्रुवो के पास फुलझड़ी सी प्रकाश देखने को मिलती हैं जिसे अरोरा लाईट कहते हैं। पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव पर इसे अरोरा बोरियालिस तथा दक्षिणी ध्रुव पर अरोरा ऑस्ट्रेलिइस कहते हैं।


सूर्य के सतह का वह भाग जहाँ से विधुत चुम्बकीय विकिरण या सौर ज्वालायें उत्पन्न होकर दूर तक चली जाती हैं, वहाँ पर काला रंग का धब्बा बन जाता हैं, क्योकि सूर्य के उस भाग से उष्मा निकल जाने के कारण सूर्य का वह भाग ठंडा हो जाता हैं, तथा ऐसे काला धब्बा को सौरकलंक कहते हैं।


सौरकलंक स्थायी नही होता, यह बनता और बिगड़ता रहता हैं, इसके बनने और बिगड़ने में 11 वर्षों का समय लगता हैं जिसे सौरकलंक चक्र कहते हैं।


विधुत चुम्बकीय विकिरण जो सौरकलंक से बाहर निकल पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है, वह पृथ्वी के बेतार संचार प्रणाली को ध्वस्त कर देता हैं। • सूर्य का वह बाहरी भाग जो सूर्यग्रहण के समय अंगूठी की भांति चमकता हुआ दिखाई देता हैं, कैरोना कहलाता है।


पृथ्वी से सूर्य की दूरी = 14.98 करोड़ km 


सूर्य की वर्तमान आयु 5 अरब वर्ष हैं।


सूर्य से पृथ्वी तक प्रकाश आने में लगा समय = 8 मिनट 20 सेकंड


सूर्य से पृथ्वी की दूरी बहुत नजदिक हैं इसलिय सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी प्रकाश वर्ष में नही मापी जाती हैं।


दूरी मापने की सबसे बड़ी इकाई पारसेक हैं। 1 पारसेक = 3.6 प्रकाश वर्ष


सूर्य के फोटोस्पियर का तापमान = 6000°C


सूर्य के केंद्र का तापमान = 15 मिलियन °C


किसी भी तारे का जीवनकाल अनुमानतः 10 बिलियन वर्ष हैं। या 10 अरब वर्ष


ग्रह


ग्रहों के पास अपना उष्मा एवं प्रकाश नही होता बल्कि यह सूर्य के प्रकाश से चमकते है और ऊर्जा प्राप्त करते हैं।


सूर्य से दूरी के अनुसार - बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण


आकर के अनुसार ग्रह - बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण, पृथ्वी, शुक्र, मंगल, बुध 


पृथ्वी के सबसे नजदीक शुक्र है, तथा आकार में शुक्र लगभग पृथ्वी के समान हैं, इसलिए शुक्र को पृथ्वी का बहन कहा जाता हैं। 


सूर्य के समीप के चार ग्रह अपेक्षाकृत छोटे होते हैं क्योंकि यह भारी पदार्थों के बने हैं तथा इनका घनत्व अपेक्षाकृत अधिक हैं।


वही शेष चार ग्रह हल्के पदार्थों के बने हुए हैं तथा इनका घनत्व कम हैं तथा अपेक्षाकृत काफी बड़े हैं।


आंतरिक ग्रह - बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल


बाह्य ग्रह - बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण


अधिकांश ग्रह पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर चक्कर लगाते हैं परन्तु शुक्र और अरुण पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर चक्कर लगाते हैं।


सभी ग्रहों के पास अपना उपग्रह हैं परंतु बुध और शुक्र के पास कोई उपग्रह नही हैं।


बृहस्पति, शनि, अरुण व वरुण को आकार में बड़े होने के कारण इन्हें ग्रेट प्लेनेट्स (Great Planets) भी कहा जाता है।


सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति और सबसे छोटा ग्रह बुध है।


बुध


यह सूर्य के सबसे पास का गृह है। (सूर्य के सबसे करीब होने के बावजूद भी यह सौर मण्डल का सबसे गर्म ग्रह नहीं है।) 


यह सौर मण्डल का सबसे छोटा ग्रह है और इसके पास अपना कोई उपग्रह नहीं है, परन्तु इसका अपना चुम्बकीय क्षेत्र है। 


सूर्य के सबसे निकट होने के कारण यह सूर्य की परिक्रमा सबसे काम समय (88 दिन) में कर लेता है।


यह ग्रह दिन में अत्यधिक ग्राम और रात में अत्यधिक ठंडा होता है। 


शुक्र


इसके पास भी अपना कोई उपग्रह नहीं है


यह सबसे चमकीला व सबसे गर्म ग्रह है।


इसे साँझ का तारा या भोर का तारा भी कहा जाता है।


यह पृथ्वी का निकटतम ग्रह है।


यह घनत्व, आकार और व्यास में पृथ्वी से काफी समानता रखता है इसलिए इसे पृथ्वी की बहन भी कहा जाता है।


पृथ्वी


पृथ्वी सौरमण्डल का 5वां सबसे बड़ा ग्रह है। 


जल की उपस्थि के कारण इसे नीला ग्रह एवं पेड़ पौधों, घास व वनस्पति की उपस्थि के कारण इसे हरा ग्रह कहा जाता है।


इसका ध्रुवीय व्यास 12714 किलो मीटर और विषुवतीय व्यास 12756 किलो मीटर है।


पृथ्वी अपने अक्ष पर सूर्य के सम्मुख 23 1/2 अंश पर झुकी हुई है। 


सूर्य के बाद पृथ्वी का निकटतम तारा प्रक्सिमा सेंचुरी है जो कि पृथ्वी से 4.22 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है।


आकर व बनावट की दृष्टि से पृथ्वी शुक्र के सामान है।


पृथ्वी पर दिन रात इसकी अक्षीय गति (परिभ्रमण) के कारण और ऋतु इसकी सूर्य के परितः वृत्तीय गति (परिक्रमण) के कारण होते हैं। 


यह अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व 1610 किमी / घण्टे की गति से घूमती है और 23 घंटे, 56 मिनट, 4 सेकण्ड में एक चक्कर पूरा कर लेती है। इसी गति से दिन व रात होते हैं। 


पृथ्वी सूर्य का परिक्रमा लगाने में 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट, 46 सेकण्ड लगाती है जिसे 1 वर्ष कहते हैं।


मंगल


आयरन ऑक्साइड के कारण इसका रंग लाल होने के कारण इस ग्रह को लाल ग्रह भी कहा जाता है।


इसके दिन का मान व अक्ष का झुकाव पृथ्वी के सामान है, यह 24 घंटों में अपना परिभ्रमण पूरा करता है और यहाँ ऋतु परिवर्तन भी होता है।


सूर्य की परिक्रमा करने में इसको 687 दिन लगते हैं।


सौर मण्डल का सबसे ऊँचा पर्वत निक्स ओलम्पिया (माउंट एवरेस्ट से तीन गुना ऊँचा) और सबसे बड़ा ज्वालामुखी ओलिपस मेसी इसी पर स्थित है। 


यह सूर्य का निकटतम ग्रह है जिसके 2 उपग्रह (फोबोस व डीमोस) भी हैं।


बृहस्पति


यह सौरमण्डल का सबसे बड़ा ग्रह है। यह पीले रंग का ग्रह है। 


इसे अपनी धुरी पर चक्कर लगाने में 10 घंटे (सबसे कम समय) लगते है और सूर्य का एक चक्कर लगाने 12 वर्षों का समय लगता है। 


इसके सर्वाधिक (63 उपग्रह) हैं जिनमें सबसे बड़ा गैनिमीड है।


शनि


यह आकाश में पीले रंग के तारे के समान नजर आता है।


यह सौरमण्डल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है।


इसकी विशेषता इसके चारों ओर एक वलय का होना है।


इसके उपग्रहों की संख्या 60 है जिनमें फीबे नाम का उपग्रह इसके अन्य उपग्रहों के संचरण के विपरीत दिशा में घूमता है।


इसका सबसे बड़ा उपग्रह टाइटन है जो आकार में बुध के बराबर है।


अरुण


इसकी खोज 1781 ई. में विलियम हर्शल द्वारा की गयी थी, यह सौरमण्डल का तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है।


इसके चारों ओर 9 वलय हैं।


अन्य ग्रहों के विरुद्ध यह अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है जिसके कारण यहाँ सूर्योदय पश्चिम में और सूर्यास्त पूर्व में होता है।


इसे लेटा हुआ ग्रह भी कहा जाता है क्योंकि यह अपनी धुरी पर इतना झुका हुआ है की लेटा हुआ सा प्रतीत होता है।


इसके 27 उपग्रह हैं जिनमें सबसे बड़ा टाइटेनिया है।


वरुण


यह सूर्य से सबसे दूर स्थित ग्रह है।


इसकी खोज 1846 ई. में जर्मन खगोल शास्त्री जहान गाले द्वारा की गयी ।


इसे हरे रंग का ग्रह कहा जाता है।


इसके चारों तरफ मेथेन का अति शीतल बादल छाया रहने के कारण यह अति शीतल ग्रह है।


इसके कुल 13 उपग्रह हैं जिनमें सबसे बड़ा ट्रिटॉन है।


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