प्रागैतिहासिक काल - Prehistoric Period
☛ इतिहास का ऐसा कालखंड जिसका कोई लिखित प्रमाण नहीं मिलता है, वह काल इतिहास का प्रागैतिहासिक काल कहलाता है, जैसे- पाषाण काल का इतिहास।
☛ इतिहास वह कालखंड जिसका लिखित प्रमाण उपलब्ध है परंतु उसका अर्थ स्पष्ट नहीं हो सकता है आद्य ऐतिहासिक काल कहलाता है, जैसे- सिंधु सभ्यता और वैदिक सभ्यता ।
☛ इतिहास का वह कालखंड जिसका लिखित प्रमाण उपलब्ध होता है और जिसका अर्थ स्पष्ट होता है, ऐतिहासिक काल कहलाता है, जैसे-महाजनपदों के बाद का काल ।
☛ प्रागैतिहासिक काल को मुख्यतः तीन भागों में विभाजित किया गया है।
1. पुरापाषाण काल
2. मध्य पाषाण काल
3. नव या उत्तर पाषाण काल
✯ पुरापाषाण काल (500000-10000 ई.पू.) - Palaeolithic Age
☛ भारत में सर्वप्रथम पाषाण कालीन सभ्यता और संस्कृति के अवशेषों को सन 1863 ई. में ब्रूस फ्रूट महोदय द्वारा खोज की गई।
☛ पुरापाषाण काल को तीन भागों में विभाजित किया जाता है
(i) निम्न पुरापाषाण काल
(ii) मध्य पुरापाषाण काल
(iii) उच्च पुरापाषाण काल
✯ निम्न पुरापाषाण काल - Lower Palaeolithic
☛ निम्न पुरापाषाण काल के स्थल वर्तमान पाकिस्तान के सोहन घाटी और महाराष्ट्र में पाए गए हैं।
☛ इस काल के लोग कुल्हाड़ी या हस्त-कुठार (हैंड ऐक्स), विदारिणी (क्लीवर) और खंडक (गंडासा) का प्रयोग करते थे।
☛ भारत में प्राचीन हस्तकुठारा सोहन घाटी से प्राप्त हुआ है।
☛ उत्तर प्रदेश के वेलन घाटी के लोहदा नाला से पशु की हड्डी से बनी मूर्ति प्राप्त हुआ है।
☛ मध्यप्रदेश के हथनौरा से हाथी का सबसे पुराना जीवाश्म प्राप्त हुआ है।
☛ मध्य पुरापाषाण काल के औजार मुख्यतः शल्क (Flake) से निर्मित हुआ था, इसलिए इस संस्कृति को फलक संस्कृति के नाम से भी जाना जाता है।
☛ मध्य पुरापाषाण काल नियान्डरथाल मानव का था | मोस्तारी संस्कृति इसी काल से संबंधित था।
☛ चकमक उद्योग की स्थापना और आधुनिक मानव 'होमोसेपिएन्स' का आगमन मध्य पुरापाषाण काल में ही हुआ था।
☛ मध्य प्रदेश के भीमबेटका के गुफाओं से विभिन्न कालों की चित्रकारी देखने को मिलती है। इस गुफा की खोज 1958 ई. में बी. एस. वाकणकर ने किया था।
☛ उच्च पुरापाषाण कालीन चित्रों में भैस, हाथी, बाघ, गेंडे और शुअर के चित्र प्रमुख है।
☛ उच्च पुरापाषाण काल में अस्थि निर्मित उपकरणों का प्रयोग देखने को मिलता है। आंध्र प्रदेश के वेटमचर्ला से अनेक अस्थि उपकरण मिले हैं।
✯ मध्य पाषाण काल ( 10000-4000 ई.पू.) - Mesolithic Age
☛ यह काल पुरापाषाण काल एवं नवपाषाण काल दोनों की मिश्रित काल है।
☛ इस काल के मानव शिकार करके, मछली पकड़ कर एवं खाद्य वस्तुएं इकट्ठा करके अपना भरण-पोषण करते थे।
☛ इस काल के लोग लघु उपकरण का प्रयोग करते थे। फलक, बेधनी, इकधर, समलंब, अर्धचंद्राकार इत्यादि मध्य पाषाण काल के प्रमुख उपकरण है।
☛ भारत के विंध्य क्षेत्र में 1867 ई. में सी. एल. कार्लाइल के द्वारा सर्वप्रथम लघु उपकरणों का खोज किया गया।
☛ मध्य पाषाण काल के लोग तीर-कमान का प्रयोग करते थे, इससे यह पता चलता है कि इस काल में प्रक्षेपास्त्र तकनीक का विकास हो गया था।
✯ नव पाषाण काल (9000-1000 ई.पू.) - Late Stone Age
☛ इस काल के लोग स्थायी निवासी थे।
☛ इसी काल में सर्वप्रथम मानव ने कुत्ते को पालतू पशु बनाया।
☛ इस काल में पॉलिशदार पत्थर के औजारों एवं हथियारों का प्रयोग होता था। - नवपाषाण काल के प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है।
1. कृषि का आरंभ
2. गर्त आवास (बुर्जहोम)
3. आग का आविष्कार
4. मानव शव के साथ कुत्ता दफनाना
5. बड़ी मात्रा में अस्थि के औजार
6 पोत निर्माण
7. ऊन्न के साक्ष्य
8. स्थायी जीवन एंव समाज का निर्माण
यह भी पढ़ें :
☑ प्राचीन भारतीय इतिहास : 1 – प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत
☑ प्राचीन भारतीय इतिहास : 2 – प्रागैतिहासिक भारत
☑ प्राचीन भारतीय इतिहास : 3 – सिंधु घाटी सभ्यता
☑ प्राचीन भारतीय इतिहास : 4 – वैदिक सभ्यता
☑ प्राचीन भारतीय इतिहास : 5 – जैन साहित्य
☑ प्राचीन भारतीय इतिहास : 6 – बौद्ध साहित्य
☑ प्राचीन भारतीय इतिहास : 7 – शैव धर्म और वैष्णव धर्म
☑ प्राचीन भारतीय इतिहास : 8 – इस्लाम, ईसाई और पारसी धर्म
☑ प्राचीन भारतीय इतिहास : 9 – महाजनपदों का इतिहास
☑ प्राचीन भारतीय इतिहास : 10 – मगध जनपद का उत्कर्ष
☑ प्राचीन भारतीय इतिहास : 11 – मौर्य वंश के पूर्व विदेशी आक्रमण
☑ प्राचीन भारतीय इतिहास : 12 – मौर्य साम्राज्य
☑ प्राचीन भारतीय इतिहास : 13 – गुप्त वंश साम्राज्य✯ आद्य ऐतिहासिक काल - Protohistoric Period
☛ इस काल को दो भागों में विभाजित किया गया है
1. ताम्रपाषाण काल ( 3500 ई.पू. 1200 ई.पू.)
2. लौह काल (1000 ई.पू. 600 ई.पू.)
✯ ताम्रपाषाण काल - Chalcolithic Age
☛ यह काल मुख्यतः ग्रामीण संस्कृति की थी। इसे क्षेत्रीय संस्कृति, कृषक संस्कृति और पशुचारिक संस्कृति के नाम से भी जाना जाता है।
☛ ताम्रपाषाण काल के लोग तांबा और पाषाण (पत्थर) का साथ-साथ प्रयोग करते थे।
☛ दक्षिणी पूर्वी राजस्थान की संस्कृति को अहार संस्कृति कहा जाता है, अहार का प्राचीन नाम ताम्बवती होती था।
☛ सर्वप्रथम तांबा धातु का प्रयोग किया गया था और प्रथम कुल्हाड़ी बनाया गया। इसका साक्ष्य तमिलनाडु के अतिरम्पकम से मिलता है।
☛ ताम्रपाषाण काल में अग्नि पूजा का प्रचलन था और इस काल के लोग लाल मृदभांडों का प्रयोग करते थे।
☛ ताम्रपाषाण काल में धार्मिक संप्रदाय का प्रति वृषभ था और इस काल के लोग मातृदेवी का पूजा करते थे।
✯ लौह काल
☛ दक्षिण भारत में लौह काल महापाषाण संस्कृति के समकालीन था।
☛ उत्तर भारत में लौह काल के साथ-साथ हाथ से बनाया हुआ मृदभांड भी प्रचलित था।
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