April 18, 2022

Sources of Ancient Indian History

प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत - Sources of Ancient Indian History


भारतीय इतिहास के स्रोतों को मुख्यतः तीन भागों में विभाजित किया गया है।


1. साहित्यिक साक्ष्य


2. विदेशी यात्रियों के विवरण


3. पुरातत्व संबंधी साक्ष्य


साहित्यिक साक्ष्य


इसके अंतर्गत साहित्यिक ग्रंथों से प्राप्त सामग्रियों का अध्ययन किया जाता है। साहित्यिक साक्ष्य दो प्रकार के होते हैं धार्मिक साहित्य और लौकिक साहित्य। 


धार्मिक साहित्य


धार्मिक साहित्य के अंतर्गत ब्राह्मण और ब्रह्मणेत्तर ग्रंथों की अध्ययन किया जाता है।


ब्राह्मण ग्रंथों के अंतर्गत वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत, पुराण और स्मृति ग्रंथों को सम्मिलित किया गया है।


ब्रह्मणेत्तर साहित्य के अंतर्गत बौद्ध और जैन साहित्य से संबंधित रचनाओं का अध्ययन किया जाता है।


वेद


वेद भारत के प्राचीनतम धर्म ग्रंथ है जिसके रचयिता महर्षि कृष्णाद्वैपायन वेद व्यास को माना जाता है।


वेदों से हमें भारत के प्राचीन काल के सभी महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। 


वेद चार है- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद | ये सभी चारो वेदों को सम्मिलित रूप से संहिता कहा जाता है।


ऋग्वेद


ऋग्वेद समस्त आर्य जाति की प्राचीनतम रचना है। विद्वानों के अनुसार ऋग्वेद की रचना आर्यों ने पंजाब में किया था।


ऋग्वेद चारों वेदों में सबसे प्राचीन वेद है जिसमें 10 मंडल, 8 अष्टक, 10600 मंत्र और 1028 सूक्त है।


ऋग्वेद का दूसरा और सातवा मंडल सबसे प्राचीन और पहला एवं दसवां मंडल सबसे बाद का है।


ऋग्वेद के नौवें मंडल को सोम मंडल भी कहा जाता है। 


ऋग्वेद में ही गायत्री मंत्र का उल्लेख मिलता है।


ऋग्वेद के दसवें मंडल के पुरुषसूक्त में सबसे पहले वर्ण व्यवस्था का उल्लेख किया गया है।


ऋग्वेद की पांच मान्य शाखांए हैं- शाकल, आश्वलायन, माण्डूक्य, शंखायन तथा वाष्कल


यजुर्वेद


इस वेद में यज्ञों के नियमों और विधि-विधानों का उल्लेख मिलता है। 


यजुर्वेद ऐसा वेद है जो पद्य एवं गद्य दोनों में लिखा गया है। 


इस वेद के दो भाग हैं- कृष्ण आयुर्वेद एवं शुक्ल यजुर्वेद 


यजुर्वेद के पाठकरता को अध्वर्यू कहा जाता है। 


सामवेद


सामवेद को भारतीय संगीत का जनक (मूल) माना जाता है, इसमें यज्ञ के अवसर पर गाए जाने वाले मंत्रों का संग्रह है। 


सामवेद में कूल 1549 ऋचाएं हैं। इनमें मात्र 78 ऋचाएं ही नयी है, शेष ऋग्वेद से लिया गया है।


इस वेद में मुख्यतः सूर्य की स्तुति के मंत्र है। 


सामवेद की तीन मुख्य शाखाएं हैं- जैमिनीय, राणायनीय और कौथुम । 


अथर्ववेद


अथर्ववेद में मनुष्यों के अंधविश्वास और विचारों का विवरण मिलता है | इस वेद में जादू टोना, रोग निवारण, विवाह, वशीकरण, ब्राह्मण ज्ञान धर्म समाज निष्ठा, औषधि प्रयोग एवं अनेक विषयों का वर्णन मिलता है।


इस वेद में कूल 20 मंडल, 731 ऋचाएं एवं 5987 मंत्र है।


यह चौथा एवं अंतिम वेद है और इस वेद की रचना "अथर्वा ऋषि" द्वारा की गई है।


अथर्ववेद का एकमात्र ब्राह्मण ग्रंथ- गोथप है।


उपनिषद


उपनिषद का शाब्दिक अर्थ "समीप बैठना होता है। इसमें आत्मा-परमात्मा तथा संसार के संदर्भ में प्रचलित दार्शनिक विचारों का संग्रह है।


उपनिषद वेदों का अंतिम भाग है इसलिए इसे वेदांत कहा जाता है। 


कुल 108 उपनिषदों की संख्या है।


प्रसिद्ध राष्ट्रीय वाक्य "सत्यमेव जयते" मुण्डोकोपनिषद से लिया गया है।


आरण्यक


यह ब्राह्मण ग्रंथों का अंतिम भाग है जिसमें दार्शनिक एवं रहस्यात्मक विषयों का वर्णन है।


इनकी रचना अरण्यों अर्थात् वनों में पढाये जाने के लिये की गयी थी। इसी कारण इन्हें आरण्यक कहा गया।


आरण्यक में यज्ञों के स्थान पर ज्ञान एवं चिन्तन को प्रधानता दी गयी है और इस प्रकार ये दार्शनिक रचनायें हैं। इन्हीं से कालांतर में उपनिषदों का विकास हुआ। 


प्रमुख आरण्यक-ऐतरेय, शांखायन, तैत्तिरीय, वृहदारण्यक, जैमिनी तथा छोन्दोग्य।


वेदांग : वेदों को अच्छे से समझने के लिए वेदांगों की रचना किया गया था- शिक्षा, ज्योतिष, व्याकरण, छंद, कल्प तथा निरुक्त। ये सभी वेदों के शुद्ध उच्चारण और यज्ञादि करने में सहायक थे।


पुराण


पुराणों के रचयिता लोमहर्षक व उनके पुत्र उग्रश्रवा को माना जाता है।


पुराणों की संख्या 18 है, इसका संकलन गुप्त काल में हुआ था तथा इसमें ऐतिहासिक वंशावली भी मिलती है।


मत्स्य पुराण सबसे प्राचीन एवं प्रमाणिक पुराण है।


रामायण : इस महाकाव्य की रचना दूसरी शताब्दी के आस-पास महर्षि बाल्मीकि द्वारा संस्कृत भाषा में की गई थी। प्रारंभ रामायण में 6000 श्लोक थे जो कालांतर में 24000 श्लोक हो गए। रामायण को चतुर्विंशति सहस्त्री संहिता भी कहा जाता है।


महाभारत : यह एक महाकाव्य है जिसकी रचना लगभग चौथी शताब्दी में महर्षि व्यास द्वारा की गई थी। प्रारंभ में इसमें 8800 श्लोक थे जिसे जयसंहिता कहा जाता था, तत्पश्चात इसमें श्लोकों की संख्या 24000 हो गई और इसे भारत कहा जाने लगा।


कालांतर में इसमें श्लोकों की संख्या 100000 हो जाने पर महाभारत या शतसाहस्त्री संहिता कहा जाने लगा।


महाभारत का प्रारंभिक उल्लेख आश्वलायन गृहसूत्र में मिलता है।


सूत्र : इस साहित्य की रचना ई. पूर्व छठी शताब्दी के आसपास की गई थी। सूत्र ग्रंथों को कल्प भी कहा जाता है।


कल्पसूत्र : ऐसे सूत्र जिनमें नियमों एवं विधि का प्रतिपादन किया जाता है, कल्पसूत्र कहलाता है।


स्मृतियां


वेदांग और सूत्रों के बाद स्मृतियों का उदय हुआ इसे धर्मशास्त्र भी कहा जाता है। 


मनुस्मृति सबसे प्राचीन स्मृति है। 


लौकिक साहित्य


इसके अंतर्गत ऐतिहासिक, अद्ध ऐतिहासिक ग्रंथों एवं जीवनीयों का उल्लेख किया गया है। जिनसे भारतीय इतिहास को जानने में काफी मदद मिलती है। 


चाणक्य (कौटिल्या) द्वारा रचित अर्थशास्त्र से मौर्य कालीन इतिहास और शासन व्यवस्था की जानकारी मिलती है।


कश्मीरी कवि कल्हण द्वारा रचित राजतरंगिणी ऐतिहासिक रचनाओं में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। 


विशाखादत्त द्वारा रचित मुद्राराक्षस, सोमदेव द्वारा रचित कथा सरितसागर, क्षेमेन्द्र द्वारा रचित वृहत्कथामंजरी मौर्यकालीन इतिहास के महत्तवपूर्ण स्रोत है। 


संगम साहित्य से दक्षिण भारत का प्रारंभिक इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है। 


पतंजलि द्वारा रचित महाभाष्य तथा कालिदास द्वारा रचित मालविकाग्निमित्रम शुंगकालीन इतिहास के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।


राजशेखर कृत प्रबंधकोश से गुजरात के चालुक्यों के इतिहास की जानकारी मिलती है। 


भारत पर हुए यवन आक्रमण की महत्वपूर्ण जानकारी गार्गी संहिता से प्राप्त होती है।


ऐतिहासिक जीवनियों में अश्वघोष के बुद्धचरित, बाणभट्ट का हर्षचरित, वाक्पति का गौडवहो, विल्हण का विक्रमांकदेव चरित, पद्मगुप्त का नवसाहसांक चरित, हेमचंद्र रचित कुमारपाल चरित, जयानक कृत पृथ्वीराज विजय इत्यादि उल्लेखनीय हैं।


यह भी पढ़ें : 


प्राचीन भारतीय इतिहास : 1 – प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत

प्राचीन भारतीय इतिहास : 2 – प्रागैतिहासिक भारत

प्राचीन भारतीय इतिहास : 3 – सिंधु घाटी सभ्यता

प्राचीन भारतीय इतिहास : 4 – वैदिक सभ्यता

प्राचीन भारतीय इतिहास : 5 – जैन साहित्य

प्राचीन भारतीय इतिहास : 6 – बौद्ध साहित्य

प्राचीन भारतीय इतिहास : 7 – शैव धर्म और वैष्णव धर्म

प्राचीन भारतीय इतिहास : 8 – इस्लाम, ईसाई और पारसी धर्म

प्राचीन भारतीय इतिहास : 9 – महाजनपदों का इतिहास

प्राचीन भारतीय इतिहास : 10 – मगध जनपद का उत्कर्ष

प्राचीन भारतीय इतिहास : 11 – मौर्य वंश के पूर्व विदेशी आक्रमण

प्राचीन भारतीय इतिहास : 12 –  मौर्य साम्राज्य

प्राचीन भारतीय इतिहास : 13 –  गुप्त वंश साम्राज्य


विदेशी यात्रियों के विवरण


विदेशी यात्रियों के विवरण से भारत के सामाजिक एवं राजनीतिक अवस्था का पता चलता है।


विदेशी यात्रियों के विवरण को तीन भागों में विभाजित किया गया है-

 

1. यूनान और रोम के लेखकों का विवरण 

2. चीनी यात्रियों के वृतांत 

3. अरब यात्रियों के वृतांत 


यूनान और रोम के लेखकों का विवरण


हेरोडोटस


इसे इतिहास का जनक कहा जाता है। इसने अपनी पुस्तक हिस्टोरिका में पांचवी शताब्दी ईसा पूर्व के भारत फारस के संबंध का उल्लेख किया है, परंतु इसका विवरण अनुश्रुतियों एवं अफवाहों पर आधारित है।


टेसियस


यह ईरान का राजवैद्य था। इसने भारत के संबंध में समस्त जानकारी ईरानी अधिकारीयों द्वारा प्राप्त किया था।


भारत के संबंध में इसका विवरण आश्चर्यजनक कहानियों से परिपूर्ण होने के कारण अविश्वनीय है।


सिकंदर के साथ भारत आनेवाले लेखकों में निर्याकस, आनेसिक्रट्स तथा अरिस्टोबुलस के विवरण अधिक प्रमाणिक और विश्वसनीय हैं।


मेगास्थनीज


यह सेल्युकस निकेटर का राजदूत था, जो चंद्रगुप्त मौर्य के राजदरबार में आया था। इसने अपनी पुस्तक 'इंडिका' नमक अपने पुस्तक में मौर्ययुगीन समाज एवं संस्कृति के विषय में उल्लेख किया है।


डाइमेकस


यह सीरियन नरेश एन्टियोकस प्रथम का राजदूत था, जो बिन्दुसार के राजदरबार में आया था।


डायोनिसियस


यह मिस्र नरेश टॉलमी द्वितीय फिलेडेल्फस का राजदूत था, जो अशोक के दरबार में आया था।


प्लिनी


इसने लगभग प्रथम शताब्दी ईस्वी में 'नेचुरल हिस्टोरिका' नामक पुस्तक लिखी थी। इसमें भारतीय पशुओं, पेड़-पौधों, खनिज पदार्थों आदि के बारे में उल्लेख मिलता है।


टॉलमी


इसने दूसरी शताब्दी ईस्वी के लगभग (150 ई.) में 'भूगोल' नामक एक पुस्तक की रचना किया था।


पेरिलिप्स ऑफ़ द इरिथ्रयन सी


इस पुस्तक की रचना एक अज्ञात लेखक द्वारा लगभग 80 ई. में गई थी, जो उस समय हिंद महासागर की यात्रा पर आया था।


इसमें भारत के व्यापारिक वस्तुओं और बंदरगाहों का उल्लेख किया गया है।


चीनी यात्रियों के वृतांत


विदेशी यात्रियों में चीनी यात्री बहुत प्रमुख थे| चीनी यात्रियों के लेखन से भारतीय इतिहास के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।


फाहयान


यह चीनी यात्री लगभग (375-415 ई.) में चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) के दरबार में भारत आया था।


इसने अपनी लेख में मध्य प्रदेश के समाज एवं संस्कृति का उल्लेख किया है जिसमें मध्य प्रदेश की जनता को 'सुखी एवं समृद्ध' बताया है।


इसने 15 वर्षो तक बौद्ध ग्रन्थों का अध्ययन किया।


ह्वेनसांग


यह हर्षवर्धन के समय 629 ई. के लगभग भारत आया था। - यहाँ लगभग 16 वर्ष तक रहते हुए नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन किया।


इसने हर्षवर्धन को शिलादित्य की उपाधि दिया और इसकी पुस्तक 'सि-यू- की' है।


शुंगयुन


यह चीनी लेखक था जो 518 ई. में भारत आया था।


इसने अपने तीन वर्षों की यात्रा में बौद्ध धर्म की प्राप्तियां एकत्रित की थी।


इत्सिंग


यह सातवीं शताब्दी के अंत में भारत आया था। इसने अपने लेख में नालंदा विश्वविद्यालय, विक्रमशिला विश्वविद्यालय एंव अपने समय के भारतीय स्थिति का उल्लेख किया था ।


अरब यात्रियों के वृतांत


अरब के मुसलमान लेखक हसन निजाम, अल मसूदी, सुलेमान, अलबरूनी, अल विला दूरी, निजामुद्दीन तथा फरिश्ता के रचनाओं से भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है।


अलबरूनी


इसका जन्म 973 ई. में ख्वारिज्म ( खीवा) में हुआ था। अलबरूनी का पूरा नाम अबूरेहान मोहम्मद इब्द अहमद अलबरूनी था।


अलबरूनी महमूद गजनवी के साथ भारत आया था। इसको अरबी, फारसी और संस्कृत का अच्छा ज्ञान था। 


इसने तहकीक-ए-हिंद (भारत की खोज) पुस्तक की रचना किया था, जिसमें भारतीयों के तत्कालीन दशाओं का वर्णन किया है।


सुलेमान


☛ इसके रचनाओं से प्रतिहार और पाल राजाओं के विषय में जानकारी मिलती है।


अलमसूदी


इसने एक पुस्तक लिखा 'मुरूरज जहब' जिसमें तत्कालीन भारतीय समाज का सजीव चित्रण मिलता है।


पुरातत्व संबंधी साक्ष्य


पुरातत्व संबंधी साक्ष्य के अंतर्गत तीन प्रकार के साक्ष्य आते हैं- अभिलेख, मुद्रा और स्मारक।


अभिलेख


अभिलेख के अध्ययन को पुरालेख शास्त्र कहते हैं।


अभिलेख पाषाण सिलाओं, स्तंभों, दीवारों मुद्राओं और ताम्रपत्र पर खुदे जाते थे। 


सबसे प्राचीन अभिलेख मध्य एशिया के बोगाज़कोई प्राप्त अभिलेख है।


कलिंग नरेश खारवेल के हाथी गुम्फा अभिलेख से सर्वप्रथम भारतवर्ष का उल्लेख मिलता है।


मंदसौर अभिलेख से रेशम बुनकर की श्रेणियों की जानकारी मिलती है। - एरण अभिलेख (सेनापति भानु गुप्त की पत्नी) से सती प्रथा का पहला साक्ष्य मिलता है।


यवन राजदूत 'होलियोडोरस' के वेसनगर (विदिशा) गरुड़ स्तंभ लेख से भागवत धर्म के विकसित होने का प्रमाण मिलता है।


मुद्रा


प्राचीन राजाओं द्वारा ढलवाये गए सिक्कों से भी प्राचीन भारतीय इतिहास की जानकारी मिलती है।


प्राचीनतम सिक्कों को आहत सिक्के (Punch Marked Coins) के नाम से भी जाना जाता है, ग्रंथों में इन्हें कार्षापण, पुराण, धरण, शतमान आदि नामों से भी जाना जाता है। 


अधिकांशतः आहत सिक्के चांदी के टुकड़े हैं जिन पर विभिन्न आकृतियां अंकित की गई - है।


सर्वप्रथम सिक्कों पर लेख लिखने का कार्य यवन शासकों द्वारा की गई।


मुद्राओं से ही प्राचीन भारत के गणराज्यों का अस्तित्व का प्रमाण मिलता है।


कनिष्क के सिक्कों से हमें उसके बौद्ध धर्म के अनुयायी होने का प्रमाण मिलता है। 


समुद्रगुप्त की वीणा बजाती हुई मुद्रा वाले सिक्के से उसके संगीत प्रेमी होने का साक्ष्य मिलता है।


पुदुचेरी के निकट अरिकामेडू से रोमन सिक्के प्राप्त हुए हैं।


स्मारक


स्मारक के अंतर्गत पुराने मंदिर, मूर्तियां, इमारतें इत्यादि आती है जिनसे हमें विभिन्न युगों के धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों की जानकारी मिलती है। 


उत्तर भारत की मंदिर निर्माण शैली को 'नागर', दक्षिण भारत की मंदिर शैली को 'द्रविड़ ' शैली कहते हैं तथा दोनों शैलियों के मिश्रण को 'वेसर शैली' कहते है।



प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोतों पर जीके प्रश्न और उत्तर | GK Questions and Answers on the Sources of Ancient Indian History

Q1. निम्नलिखित में से कौन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का पहला सर्वेयर जनरल था? (A) जेम्स बर्गेस (B) अलेक्जेंडर कनिंघम (C) जेम्स प्रिंसेप (D) जेम्स फर्ग्यूसन उत्तर: (B) अलेक्जेंडर कनिंघम Q2. कौन-सा/से शिलालेख है/हैं? (A) गुफा शिलालेख (B) स्तंभ शिलालेख (C) रॉक्स शिलालेख (D) उपरोक्त सभी उत्तर: (D) उपरोक्त सभी Q3. निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन पुरातात्विक स्रोतों से संबंधित है/हैं? (i). इसमें उत्खनन, शिलालेख और मुद्राशास्त्रीय स्रोतों में मिली संरचनाएं और वस्तुएं शामिल हैं। (ii). प्रागैतिहासिक काल और हड़प्पा संस्कृति के बारे में हमारा ज्ञान विशेष रूप से उत्खनन से प्राप्त स्रोतों पर आधारित है। सही विकल्प का चयन करें (A) केवल I (B) केवल II (C) I और II दोनों (D) न तो I और न ही II उत्तर: (C) I और II दोनों Q4. सबसे पुराना ब्राह्मण साहित्य कौन सा है? (A) अरण्यकी (B) उपनिषद (C) स्मृति (D) वेद उत्तर: (D) वेद Q5. निम्नलिखित में से कौन सा सूत्र जैन भिक्षुओं के लिए आचार संहिता से संबंधित है? (A) आचारंग सूत्र (B) पंच प्रतिक्रमण सूत्र (C) तत्त्वार्थ सूत्र (D) सामायिक सूत्र उत्तर: (A) आचारंग सूत्र Q6. मनुस्मृति कब लिखी गई थी? (A) शुंग आयु (B) हूण युग (C) मौर्य युग (D) गुप्ता आयु उत्तर: (A) शुंग आयु Q7. निम्नलिखित का मिलान करें:


(a) समुंद्र गुप्ता 1. महरौली लौह स्तंभ

(b) रुद्रमन 2. जूनागढ़

(c) खारवेला 3. इलाहाबाद स्तंभ

(d) राजा चंद्र 4. हाथीगुम्पा (हाथी गुफा)
कोड: A B C D (A) 1 2 3 4 (B) 3 1 2 4 (C) 3 2 4 1 (D) 1 2 4 3 उत्तर: (C) 3 2 4 1 Q8. शिलालेख से संबंधित सही कथन का चयन करें (I) यह हमें इतिहास का सही और वैज्ञानिक ज्ञान प्राप्त करने और सही करने में मदद करता है। (II) यह किसी शासक या राजवंश की घटनाओं, विकास और उपलब्धियों के बारे में जानकारी देता है। कोड: (A) केवल I (B) केवल II (C) I और II दोनों (D) न तो I और न ही II उत्तर: (C) I और II दोनों Q9. निम्नलिखित में से कौन सी इतिहास पुस्तक कश्मीर के इतिहास से संबंधित है? (A) राजतरंगिणी (B) देवलस्मृति (C) जातक (D) यजुर्वेद उत्तर: (A) राजतरंगिणी Q10. त्रिपिटक कब लिखे गए थे? (A) गौतम बुद्ध से पहले (B) बुद्ध के जीवन के दौरान (C) बुद्ध की मृत्यु के बाद (D) B और C दोनों उत्तर: (C) बुद्ध की मृत्यु के बाद इस लेख में प्राचीन भारतीय इतिहास स्रोतों पर जीके प्रश्न और उत्तर उपरोक्त 10 प्रश्नों में दिए गए हैं और उन स्रोतों के बारे में ज्ञान को बढ़ाएंगे जो हमें प्राचीन भारत के राज्य, प्रशासन, समाज, राजनीति और अर्थव्यवस्था के बारे में जानकारी देते हैं।

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