April 24, 2022
गुप्त वंश साम्राज्य का इतिहास

गुप्त वंश (250 ई. - 500ई.)


मौर्य वंश का अंतिम शासक वृहद्रथ को पुष्यमित्र ने युद्ध में पराजित कर शुंगवंश की स्थापना की।


शुंगवंश के बाद वासुदेव आए। वासुदेव ने कण्व वंश की स्थापना की।


सिमुक ने सातवाहक वंश की स्थापना की और उसके बाद में इस वंश के अंतिम शासक सात करणी को युद्ध में पराजित कर श्री गुप्त ने गुप्त वंश की स्थापना कर दी।


पुष्यमित्र → शुंगवंश ➡️ वासुदेव → कण्व वंश ➡️ सिमुक →सातवाहक वंश ➡️ श्रीगुप्त→ गुप्त वंश


श्री गुप्त


श्री गुप्त ने भारत के छह महाजनपदों को जीता था। इसके बाद घटोत्कच आया और फिर चन्द्रगुप्त प्रथम अगला शासक बना था।


चन्द्रगुप्त प्रथम


चंद्रगुप्त प्रथम ने लिच्छवि राजकुमारी देवी के साथ विवाह किया था।


'गुप्त संवत' की स्थापना इसी शासक चन्द्रगुप्त प्रथम द्वारा किया गया था। 


चन्द्रगुप्त प्रथम और लिच्छवि राजकुमारी देवी का पुत्र समुद्रगुप्त था, वो चन्द्रगुप्त प्रथम के बाद अगला शासक बना।


समुद्रगुप्त


यह एक संगीत प्रेमी शासक था और इसने अपने सिक्कों पर वीणा बजाते हुए देवी की मूर्ति अंकित करवाई थी।


महा पराक्रमी होने की वजह से इसे "भारत देश का नेपोलियन" कहा जाता था। इसके बाद में चंद्रगुप्त द्वितीय अगला शक बना।


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प्राचीन भारतीय इतिहास : 4 – वैदिक सभ्यता

प्राचीन भारतीय इतिहास : 5 – जैन साहित्य

प्राचीन भारतीय इतिहास : 6 – बौद्ध साहित्य

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प्राचीन भारतीय इतिहास : 10 – मगध जनपद का उत्कर्ष


चन्द्रगुप्त द्वितीय


यह विक्रमादित्य के नाम से भी जाना जाता है।


इसने शको (विदेशी) के आक्रमण को विफल किया था। 


भारतीय इतिहास में सबसे पहले चांदी के सिक्के चंद्रगुप्त द्वितीय ने ही चलाए थे।


चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में कालिदास, आर्यभट्ट, वराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त, सुश्रुत इत्यादि प्रसिद्ध विद्वान रहते थे।


आर्यभट्ट एक वैज्ञानिक और गणितज्ञ थे और इसी ने सूर्य सिद्धांत की रचना की थी।


वराहमिहिर एक खगोलशास्त्री थे।


कालिदास ने मेघदूतम और कुमारसंभव की रचना की थी।


चन्द्रगुप्त द्वितीय का शासन काल भारतीय इतिहास का स्वर्ण काल कहलाता है।


इसके बाद में अगला शासक कुमारगुप्ता बना।


कुमारगुप्ता


नालंदा यूनिवर्सिटी की स्थापना कुमारगुप्त ने ही की थी।


इसके बाद इसका अगला शासक स्कन्धगुप्त बना


स्कन्धगुप्त


भारत में सबसे ज्यादा कृत्रिम झीलों का निर्माण स्कन्धगुप्त कराया था।


गुप्त वंश का अंतिम शासक भानु गुप्त हुआ था।


गुप्त साम्राज्य के इतिहास पर आधारित इतिहास GK प्रश्न | Important 50+ Gupta Empire Gk Questions In Hindi

Q. किस व्यक्ति को द्वितीय अशोक' कहा जाता है ? [SSC 1999] (A) हर्षवर्धन (B) समुद्रगुप्त (C) चन्द्रगुप्त मौर्य (D) स्कंदगुप्त Answer - (A) हर्षवर्धन

व्याख्या :- हर्षवर्धन को द्वितीय अशोक कहा जाता है। हर्षवर्धन (590 - 647) प्राचीन भारत में एक राजा था जिसने उत्तरी भारत में अपना एक सुदृढ़ साम्राज्य स्थापित किया था। वह हिन्दू सम्राट था जिसने पंजाब छोड़कर शेष समस्त उत्तरी भारत पर राज्य किया। Q. थानेश्वर में वर्धन वंश / पुष्यभूति वंश की स्थापना किसने की ? (A) नरवर्धन (B) राज्यवर्धन (C) आदित्यवर्धन (D) पुष्यभूतिवर्धन Answer- (D) पुष्यभूतिवर्धन व्याख्या :- पुष्यभूति वंश की स्थापना छठी शताब्दी ई. में गुप्त वंश के पतन के बाद हरियाणा के अम्बाला ज़िले के थानेश्वर नामक स्थान पर हुई थी। इस वंश का संस्थापक 'पुष्यभूति' को माना जाता है, जो कि शिव का उपासक और उनका परम भक्त था। इस वंश में तीन राजा हुए- प्रभाकरवर्धन और उसके दो पुत्र राज्यवर्धन तथा हर्षवर्धन। पुष्यभूति राजवंश या वर्धन राजवंश ने भारत के उत्तरी भाग में 3ठी तथा 7वीं शताब्दी में शासन किया। Q. कदम्ब राज्य की स्थापना मयूरशर्मन ने की थी। उसने अपनी राजधानी बनायी (A) वैजयन्ती या वनवासी को (B) बंगाल को (C) कन्नौज को (D) इनमें से कोई नहीं Answer - (A) वैजयन्ती या वनवासी को व्याख्या :- कदंब दक्षिण भारत का एक ब्राह्मण राजवंश। कदंब कुल का गोत्र मानव्य था और उक्त वंश के लोग अपनी उत्पत्ति हारीति से मानते थे। ऐतिहासिक साक्ष्य के अनुसार कदंब राज्य का संस्थापक मयूर शर्मन्‌ नाम का एक ब्राह्मण था जो विद्याध्ययन के लिए कांची में रहता था और किसी पल्लव राज्यधिकारी द्वारा अपमानित होकर जिसने चौथी शती ईसवी के मध्य (लगभग 345 ई.) प्रतिशोधस्वरूप कर्नाटक में एक छोटा सा राज्य स्थापित किया था। इस राज्य की राजधानी वैजयंती अथवा बनवासी थी। छठी शताब्दी के आरंभिक दशाब्दों में रवि वर्मन्‌ राजा हुआ जिसने अपनी राजधानी बनवासी से हटाकर पालाशिका अथवा हाल्सी (बेलगाँव जिले में) बनाई। Q. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए : सूची-I (राजवंश) A. वर्धन B. मौखरि C. वाकाटक D. मैत्रक सूची-II (संस्थापक) 1. भटार्क 2. हरि वर्मा 3. विंध्यशक्ति 4. पुष्यशक्ति (a) A—1, B—2, C—3, D—4 (b) A—4, B—2, C—3, D—1 (c) A—4, B—3, C—2, D—1 (d) A—2, B—1, C—3, D—4 Answer - (b) A—4, B—2, C—3, D—1 व्याख्या :- वर्धन वंश की नींव छठी शती के प्रारम्भ में पुष्यभूतिवर्धन ने थानेश्वर में डाली। ● कन्नौज का मौखरि वंश( हर्ष के समकालीन शासक) मौखरि वंश के संस्थापक हरि वर्मा थ। ईशानवर्मा कन्नौज के मौखरि राजवंश का चौथा राजा था। उसके पहले के तीन राजा अधिकतर उत्तर युगीन मागध गुप्तों के सामंत नृपति रहे थे। ● वाकाटक वंश का संस्थापक 'विंध्यशक्ति' था। शासन काल. विंध्यशक्ति को शिलालेख में 'वाकाटक वंशकेतु' कहा गया है। ● मैत्रक वंश का संस्थापक भट्टारक एक सेनापति था, जिसने गुप्त वंश के पतन का लाभ उठाकर स्वयं को गुजरात और सौराष्ट्र का शासक घोषित कर दिया और वल्लभी को अपनी राजधानी बनाया। Q. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए : सूची-I (राज्य) A. वर्धन B. मौखरि C. वाकाटक D. मैत्रक सूची-II (राजधानी) 1. थानेश्वर 2. कन्नौज 3. पुरिका 4. वल्लभी (a) A—1, B—2, C—3, D—4 (b) A—2, B—1, C—3, D—4 (c) A—1, B—2, C—4, D—3 (d) A—4, B—3, C—2, D—1 Answer - (a) A—1, B—2, C—3, D—4 व्याख्या :- वर्द्धन या वर्धन वंश को 'पुष्यभूति वंश' भी कहा जाता है। इसकी राजधानी थानेश्वर थी। ● मौखरि वंश के सामन्त ने अपनी राजधानी कन्‍नौज बनाई। कन्‍नौज का प्रथम मौखरि वंश का सामन्त हरिवर्मा था। उसने 510 ई. में शासन किया था। ● वाकाटक शब्द का प्रयोग प्राचीन भारत के एक राजवंश के लिए किया जाता है जिसने तीसरी सदी के मध्य से छठी सदी तक शासन किया था। ● वल्लभी या वल्लभीपुर गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में भावनगर के निकट स्थित एक प्राचीन नगर है। यह प्राचीन मैत्रक राजवंश की राजधानी था। Q. चालुक्य राजा पुलकेशिन II को किसने पराजित किया था ? [SSC 2001] (A) परांतक (B) महेन्द्रवर्मन (C) नरसिंहवर्मन (D) परमेश्वरवर्मन Answer - (C) नरसिंहवर्मन व्याख्या :- चालुक्य वंशीय पुलकेशिन II पल्लव शासक नरसिंहवर्मन प्रथम द्वारा पराजित हुआ था। कूरम अभिलेख में नरसिंहवर्मन की इस सफलता का उल्लेख मिलता है। इसके अनुसार, नरसिंहवर्मन ने पुलेकिशन को परियाल, शूरमार तथा मणिमंगलम् के युद्धों में पूर्णरूपेण पराजित किया तथा उसकी पीठ पर विजयाक्षर अंकित कर दिया। बाद में नरसिंहवर्मन ने चालुक्य की राजधानी वातापी पर अधिकार करके ‘ वातापीकोण्ड ' उपाधि धारण की। Q. 'हर्षचरित' किसके द्वारा लिखी गई थी ? [SSC 2002; BPSC 2005] (A) ब्यास (B) कालिदास (C) बाणभट्ट (D) बाल्मीकि Answer - (C) बाणभट्ट व्याख्या :- बाण भट्टराव सातवीं शताब्दी के संस्कृत गद्य लेखक और कवि थे। वह राजा हर्षवर्धन के आस्थान कवि थे। उनके दो प्रमुख ग्रंथ हैं: हर्षचरितम् तथा कादम्बरी। हर्षचरितम् , राजा हर्षवर्धन का जीवन-चरित्र था और कादंबरी दुनिया का पहला उपन्यास था। कादंबरी पूर्ण होने से पहले ही बाण भट्टराव जी का देहांत हो गया तो उपन्यास पूरा करने का काम उनके पुत्र भूषण भट्ट राव ने अपने हाथ में लिया। दोनों ग्रंथ संस्कृत साहित्य के महत्त्वपूर्ण ग्रंथ माने जाते है। Q. निम्नलिखित में वह अंतिम बौद्ध राजा कौन था जो संस्कृत का महान विद्वान और लेखक था? [SSC 2002] (A) कनिष्क (B) हर्षवर्धन (C) अशोक (D) बिम्बिसार Answer - (B) हर्षवर्धन व्याख्या :- हर्षवर्धन भारत के आखिरी महान राजाओं में एक थे। चौथी शताब्दी से लेकर 6ठी शताब्दी तक मगध पर से भारत पर राज करने वाले गुप्त वंश का जब अन्त हुआ, तब देश के क्षितिज पर सम्राट हर्ष का उदय हुआ। उन्होंने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाकर पूरे उत्तर भारत को एक सूत्र में बांधने में सफलता हासिल की। हर्ष एक बहुत अच्छे लेखक ही नहीं, बल्कि एक कुशल कवि और नाटककार भी थे। हर्ष की ही देख-रेख में ‘बाना’ और ‘मयूरा’ जैसे मशहूर कवियों का जन्म हुआ था। यही नहीं, हर्ष खुद भी एक बहुत ही मंजे हुए नाटककार के रूप में सामने आए। ‘नगनन्दा’, ‘रत्नावली’ और ‘प्रियदर्शिका’ उनके द्वारा लिखे गए कुछ नामचीन नाटक हैं। Q. हर्षवर्धन के समय में कौन-सा चीनी तीर्थयात्री भारत आया था ? [SSC 2001; RRB राँची ASM/GG 2004, UPPCS (M) 2012] (A) फाह्यान (B) हेनत्सांग (C) इत्सिंग (D) मेगास्थनीज Answer - (B) हेनत्सांग व्याख्या :- ह्वेन त्सांग एक प्रसिद्ध चीनी बौद्ध भिक्षु था। वह हर्षवर्द्धन के शासन काल में भारत आया था। वह भारत में 15 वर्षों तक रहा। उसने अपनी पुस्तक सी-यू-की में अपनी यात्रा तथा तत्कालीन भारत का विवरण दिया है। उसके वर्णनों से हर्षकालीन भारत की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक अवस्था का परिचय मिलता है। Q. बाणभट्ट किस सम्राट् के राजदरबारी कवि थे? [SSC 1999] (A) कनिष्क (B) विक्रमादित्य (C) कुमारगुप्त (D) हर्षवर्धन Answer - (D) हर्षवर्धन व्याख्या :- बाण भट्टराव सातवीं शताब्दी के संस्कृत गद्य लेखक और कवि थे। वह राजा हर्षवर्धन के आस्थान कवि थे। उनके दो प्रमुख ग्रंथ हैं: हर्षचरितम् तथा कादम्बरी। हर्षचरितम् , राजा हर्षवर्धन का जीवन-चरित्र था और कादंबरी दुनिया का पहला उपन्यास था।

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